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Bhartiya Bhakti Sahitya Mein Abhivayakt Samajik Samarasta (Hindi) Hardbound

Bhartiya Bhakti Sahitya Mein Abhivayakt Samajik Samarasta (Hindi) Hardbound

$43.00
Author:Dr. Sunil Baburao Kulkarni
ISBN 13:9789352210992
Year:2016
Subject:Philosophy and Religion/Religion

About the Book

धार्मिक और दार्शनिक दृष्टि से भक्ति साहित्य का विवेचन एवं विश्लेषण जितनी पर्याप्त मात्र में मिलता है उतनी पर्याप्त मात्र में सामाजिक दृष्टि को ध्यान में रखकर किया गया विश्लेषण नहीं मिलता ! उसमे भी ?समरसता? जैसी अधुनातन अवधारणा को केंद्र में रखकर भक्ति साहित्य का विवेचन तो आज तक किसी ने नहीं किया ! दूसरी बात कि समरसता? की अवधारणा को लेकर लोगों में असमंजस का भाव है ! उसे दूर करना भी एक युग की आवश्यकता थी ! पुस्तक में इन्ही बातों को विद्वानों ने अपने शोध-आलेखों में सप्रमाण सिद्ध किया है ! पुस्तक का विषय निर्धारण करते समय इस बात पर भी विचार किया गया है कि साहित्य में भक्ति की सअजस्र धरा प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक प्रवाहित रही है, उसे मध्यकाल तक सीमित मानना तर्कसंगत नहीं ! मध्यकाल के पहले और मध्यकाल के बाद भी साहित्य में हम भक्ति के बीजतत्वों को आसानी से फलते-फूलते देख सकते हैं ! इस कारण ?आदिकालीन भक्ति साहित्य में अभिव्यक्त सामाजिक समरसता? और ?आधुनिक्कालीन संतो और समाजसुधारकों के सहित्य में अभिव्यक्त सामाजिक समरसता? जैसे विषय विद्वानों के चिंतन व् विमर्श के मुख्य केंद्र में हैं ! आदिकाल से लेकर आधुनिककाल के भारतीय भक्ति साहित्य के पुनर्मूल्यांकन की दृष्टि से यह पुस्तक निस्संदेह एक उपलब्धि की तरह है !