Gorakhpur ki ek Ankahi Kahani (Hindi)
$19.00
Author: | Tanvir salim |
ISBN 13: | 9789382711810 |
Year: | 2017 |
Subject: | Hindi Literature |
About the Book
इस कहानी की शुरुआत भारत के पहले 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से होती है जब गोरखपुर के अली नगर में बाबू बंधू सिंह को लटका दिया गया फांसी के फंदे पे. 1922 में चौरी -चौरा में निहत्थों को गोलियों से भून दिया गया , और वहीँ से आज़ादी की लड़ाई ने जोर पकड़ा. वास्तविकता में क्या हुआ था चौरी-चौरा में? क्यों गाँधी जी को दोष देना उचित है? एक सफर जो शुरू होता है गोरखपुर की गलियों से, और ले जाता है उस दुनिया में जहाँ 9/11 ने सब कुछ तहस नहस कर दिया था. क्यों गोरखपुर से लोगों का पलायन एक आम बात है? कैसा था दशकों पुराना गोरखपुर, और क्या होता है जब कोई वापस लौट के आता है? क्यों जाति पति और धर्म का बोल बाला है? हिंदुओं में और मुसलमानों में भी? क्यों सारी दुनिया की नज़र है भारत पर. इसका कारण चीन है या पाकिस्तान? मुसलमानों की क्या सत्ता में भागेदारी सम्भव है? ऐसे में बिछी है ऐसी बिसात जहाँ 'बाहरी शक्तियां' चल रही है नयी नयी चाल. और क्यों न हो सारी जंग सत्ता के लिए है? एक ऐसा चुनाव जो भारत ने कभी न देखा हो, चुनने को तैयार है उनको जो राज कर सकें. क्या वह शख्स आतंकवादी था या सिर्फ हालात का मारा. उसकी फांसी से चुनाव पे क्या असर पड़ने वाला है? शामिल हैं कश्मीर की वादियां, और उसमें रहने वाले लोग. एक ऐसी जंग जो दशकों पुरानी है. क्या होगा आगे? कैसे होगा और कब होगा? एक कहानी जिसे जानना ज़रूरी है. है न?