Kavita Ke Teen Darvaze (Hindi)
$44.00
Author: | Ashok Vajpeyi |
ISBN 13: | 9788126728138 |
Year: | 2016 |
Subject: | Hindi Literature |
About the Book
कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी लगभग चार दशकों से नई कविता की अपनी बृहत्त्रयी अज्ञेय-शमशेर बहादुर सिंह-गजानन माधव मुक्तिबोध के बारे में विस्तार से गुनते-लिखते रहे हैं ! उन्हें लगता रहा है कि हमारे समय की कविता के ये तीन दरवाजे हैं जिनसे गुजरने से आत्म, समय, समाज, भाषा आदि के तीन परस्पर जुड़े फिर भी स्वतंत्र दृश्यों, शैलियों और दृष्टियों तक पहुंचा जा सकता है ! इस त्रयी का साक्षात्कार अपने समय की जटिल बहुलता, अपार सूक्ष्मता और उनकी परस्पर सम्बद्धता के रू-ब-रू होना है ! तीन बड़े कवियों पर एक कवि-आलोचक की तरह अशोक वाजपेयी ने गहराई से लगातार विचार कर अपने आलोचना-कर्म को जो फोकस दिया है वह आज के आलोचनात्मक दृश्य में उसकी नितांत समसामयिकता से आक्रांति का सार्थक अतिक्रमण है ! 'बड़ा कवि द्वार के आगे और द्वार दिखता और कई बार हमें उसे अपने आप खोलने के लिए प्रेरित करता या उकसाता है', 'शमशेर की आवाज अनायक की है' और 'मुक्तिबोध भाषा से नहीं अंतःकरण से कविता रचते हैं' जैसी स्थापनाएँ हिंदी आलोचना में विचार/संवेदना और आस्वाद के नए द्वार खोलती हैं !