Pracheen Ayodhya Ka Rajnaitik Evam Sanskritik Adhyayan (Hindi)
$32.00
Author: | Rambihari Upadhyay |
ISBN 13: | 9789352210978 |
Year: | 2016 |
Subject: | Art and Archaeology |
About the Book
प्राचीन अयोध्या का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन, शोध प्रबंध के दस अध्यायों में अयोध्या की उन राजनैतिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों की पौर प्रभा उकेरी गयी है, जो उसे इतिहास में शतियो से अमर बनाई हुई है! अयोध्या से प्राप्त सिक्के, शिलालेख, मृद्भांड, पाषाण शिल्प, ताम्रलफ़लकाभिलेख फरमाने और स्मारक हमें जहाँ अतीत के गलियारे में जहरों साल पीछे की और निहारने के लिए आकर्षित करते हैं, वहीँ वैदिक साहित्य, पुराणों, रामायण, महाभार, बौद्ध, जैन, संस्कृत, पाली/प्राकृत साहित्य, अरबी/तुर्की/फारसी साहित्य के तुलनात्मक अनुशीलन से उत्तरमध्ययुग तक अयोध्या के इतिहास और संस्कृति के विविध आयाम प्रस्फुटित हुए है; कहीं तरंगायित सरयू, कहीं ऊँचे मह्लोंवाली अयोध्या, कहीं रघु की उदारता, कहीं राम की प्रजव्त्सलता, बाल्मीकि की पहली कविता, कहीं-कहीं बौद्ध्युगीन कृषि, धार्मिक, नगरीय क्रांति और गणतंत्रीय राज्यादार्ष, सैन्य और दौत्य संगठन का अभिचित्रण इस पुस्तक में किया गया है ! भारतीय राजतन्त्र की प्रथम राजधानी अयोध्या को, इतिहास के विभिन्न युगों में भी, सूबाई राजधानी होने के गौरव प्राप्त होने के कारण ही उत्तरोत्तर राजनैतिक प्रतिष्ठा मिली; वहीँ सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अयोध्या की महिमा पहली शती से ही दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों; स्याम, थाईलैंड, हिंदेशिया, जावा और सुमात्रा में फ़ैल चुकी थी ! वस्तुतः प्राचीन भारत की अयोध्या-राजनैतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्त्पूर्ण नगरी रही है ! प्राचीन अयोध्या ने हमें उत्तम नागर निदर्श, प्रशासन, वसुधैव कुटुम्बकम, साझा संस्कृति, कला, काव्य लिपि, भाषा, सामाजिक-सांस्कृतिक सहिष्णुता और राष्ट्रीय एकता की अनुपम विरासत सौंपा है !