Swadhinatottar Hindi Natako me Loktantrik Mulya (Hindi)
$80.00
Author: | Braham Dutt Awasthi |
ISBN 13: | 9788196361808 |
Binding: | Hardbound |
Language: | Hindi |
Year: | 2023 |
Subject: | Performing Arts/Drama |
About the Book
स्वाधीनतोत्तर हिन्दी नाटकों में लोकतान्त्रिक मूल्य नामक यह प्रबन्ध केवल लोकतंत्र ही नहीं भारतीय दर्शन, संस्कृति और समाज जीवन का उद्गाता है। तर्क, विचार, कल्पना, यथार्थ और मेधा से आपूरित इस प्रबन्ध में लोक-उपास्य विचारों का प्रवाह साहित्य के दोनों ही कूलों को समृद्ध करता हुआ समर्पित भाव से आगे बढ़ता है तभी कला और भाव दोनों ही सहज रूप से मिलकर समष्टि का यशगान करते हैं।
भाषा के लालित्य के साथ-साथ भूलोक और भूगोल को तत्सम और तद्भव की भाँति देखते हुए डाॅ. ब्रह्मदत्त अवस्थी जी ने राजनीति विज्ञान, समाज विज्ञान, दर्शन, अर्थशास्त्र और विधि को विधाता की कृपा से मथकर हिन्दी साहित्य की सुरसरि में भाव सुमनों को इस प्रकार उड़ेला है कि अमृत-तत्व की अनुभूति कहीं दूर नहीं, बस आचमन-भर करना है।
हिमालय को ऊँचाई गहरे सागरों ने ही दी है। इस पर सजी धवल श्वेत हिमराशि उसे ऋषि की भाँति स्थापित कर देती है जिसकी छाँह में पलते हैं सभी लोकवासी। डाॅ. अवस्थी के इस साहित्यिक शोध-प्रबन्ध में लोक उभर कर सामने आया है जहाँ भूगोल उसकी शिराओं में लावे की भाँति दहक रहा है और भरत भूमि को उर्वरा बना रहा है।
Book Content
खंड - क : अरुणाभ
स्वरूप - निर्धारण
प्रेरक स्रोत
पूर्व पीठिका
खंड - ख अरुणोदय
व्यष्टि जीवन में आत्म चेतना
लोकतान्त्रिक जीवन पद्धति के मानक
लोकतान्त्रिक मूल्यों की हिन्दी नाटकों में व्यवहृति का ऐतिहासिक विहंगावलोकन
स्वाधीनतोत्तर काल में लोकतान्त्रिक मूल्यों के प्रेरक स्रोत
राष्ट्रीय जागरण की धारा में हिन्दी नाटकों में व्यक्त हुए स्व चैतन्य के प्रेरक चिंतन कण एवं लोक साधना में उनकी उपादेयता का मूल्याङ्कन
लोक आराधना के काल में व्यक्त हो रहे हिन्दी नाटकों में लोक-चेतना के स्वर एवं लोकानुभूति और लोक-धारणा की कसौटी पर व्यक्त विचारों का आकलन
राष्ट्र भक्ति के नाट्यगत उपस्थापन के माध्यम से लोकाभिमुखी दृष्टि के उन्मेष का अनुसन्धान एवं नाटककारों के तत्संबद्ध प्रदेय का आकलन
नाटकों में स्वंतत्रता की भावना, गतिरोधक तत्वों का संधान एवं पूर्ण संदर्भित नाट्य-युगों के कृतित्व के परीक्षण की दृष्टि से हिन्दी नाटकों में स्वतंत्रता की प्रस्तुति
समानता के पोषण की दृष्टि से रचनाओं का अनुसन्धान एवं रचनाओं में असमानता के व्यक्त कारणों का विश्लेषण
वैयक्तिक एवं सामाजिक इकाइयों की टूटती सीमाएँ और हिन्दी नाटकों में तत्सम्बन्धी विचारो का अभिव्यक्तिकरण और विश्व बन्धुत्व के धरातल पर उनका परिणाम
लोक-शक्ति की अनुभूति एवं प्रतिष्ठा तथा उसकी सामर्थ्य का हिन्दी नाटकों में अनुसन्धान और विश्लेषण
लोकतंत्र का प्राण लोकेच्छा एवं उसकी अभिव्यक्ति के माध्यम लोकमत का हिन्दी नाटकों में अवलोकन और लोक धारणा तथा लोक साधना में व्यक्त लोकमत चिंतन का विश्लेषण
व्यक्ति एवं समाज-निर्माणहित जाग्रत दायित्व बोध के हिन्दी नाटकों में व्यक्त हुए विचार कण तथा उनकी समाज साधना
लोकतंत्र की कसौटी : व्यक्ति स्वार्थ से परे समाज के घटकों में निष्पक्षता की वृत्ति एवं न्याय की दृष्टि का हिन्दी नाटकों में आकलन तथा लोकतंत्र की पुष्टि में उसका विश्लेषण
लोकतान्त्रिक मूल्यों की सम्प्रतिष्ठा और स्वाधीनतोत्तर हिन्दी नाटक
खंड ग : परिशिष्ट